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मसूद अजहर घोषित हुआ ग्लोबल आतंकी, और मच गई पाकिस्तान में खलबली

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 40 जवानों की जान लेने वाला जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मौलाना मसूद अजहर अब ग्लोबल आतंकी घोषित हो गया है. भारत की ओर से पिछले काफी लंबे समय से इसकी कोशिश की जा रही थी, लेकिन अब जाकर ये कूटनीतिक जीत मिली. अमेरिका, फ्रांस और यूके के संयुक्त प्रस्ताव और चीन के अपने वीटो वापस लेने के साथ ही संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित किया|
इस फैसले के बाद एक बार फिर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान अपनी ही वाहवाही में जुट गया है. इस फैसले के साथ ही वहां की सरकार और मीडिया दोनों ही इसे अपनी जीत बताने में जुट गई हैं और भारत पर निशाना भी साध रही हैं|

                                     
विदेश मंत्रालय ने बताया अपनी जीत
हर मौके पर मसूद अजहर को बचाने वाला पाकिस्तान UN के फैसले को भारत की जीत नहीं मान रहा है. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने भी इस फैसले के बाद कहा कि हमारी सरकार पूरी तरह से प्रतिबंधों को लागू करेगी|
उन्होंने कहा कि इस केस को भी अन्य UN के केस की तरह ही हैंडल किया जाएगा|
प्रवक्ता मोहम्मद फैसल बोले कि इसके तहत हम मसूद के विदेश ट्रैवल पर रोक लगाएंगे और उनकी संपत्ति भी जब्त करेंगे. उन्होंने कहा कि दुनिया के लिए आतंकवाद एक बड़ा मसला है, जिसमें भारत के द्वारा कश्मीर में किया जा रहा जुल्म भी शामिल है. उन्होंने कहा कि हम इस फैसले पर इससे पहले विरोध इसलिए कर रहे थे क्योंकि इसका राजनीतिकरण किया जा रहा था.
आपको बता दें कि एक तरफ अपनी शर्तों की दुहाई दे रहा पाकिस्तान बालाकोट में हुई एयरस्ट्राइक के बाद से ही दुनिया के दबाव में है. यही कारण है कि उसने बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद से ही मसूद अजहर को नजरबंद किया हुआ है.
मीडिया भी देख रहा अनोखा नजरिया
सरकार के अलावा वहां का मीडिया भी इसे अपने देश की ही जीत मान रहा है. पाकिस्तानी मीडिया बुधवार से ही लिख रहा है|
कि संयुक्त राष्ट्र की पाबंदी पाकिस्तान और चीन की शर्त मानने की वजह से लग पाई है. अगर पाकिस्तान और चीन नहीं मानते तो मसूद अजहर ग्लोबल आतंकी घोषित नहीं हो पाता|
पाकिस्तानी अखबार Tribune PK ने लिखा है कि मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी तो घोषित किया गया, लेकिन कश्मीर के मसले पर जो बात भारत मनवाना चाहता था उसकी वह इच्छा पूरी नहीं हो सकी है|
पाकिस्तान का कहना है कि जिन दो मुद्दों पर उसे आपत्ति थी, उसमें मसूद अजहर का नाम कश्मीर में हुई घटनाओं से जोड़ना और पाकिस्तानी संस्थाओं का नाम होना, जिसमें बदलाव किया गया और बाद में चीन-पाकिस्तान इस बात पर राजी हुए|

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