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37 साल पहले मिले थे नरेंद्र मोदी और अमित शाह

1989 से अमित शाह ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जोड़ी के गुजरात में कई ऐसे कारनामे रहे हैं जिसकी वजह से एक-दूसरे पर उनका भरोसा बढ़ता गया. मोदी-शाह की जोड़ी को लेकर राज्यसभा सांसद परिमल नथवानी का कहना है कि अमित शाह और नरेन्द्र मोदी की जोड़ी गुजरात में एक ही सिक्के के दो पहलू के तौर पर हमेशा रही है. अगर अमित शाह किसी भी चीज में हां बोल देते हैं तो नरेन्द्र भाई कभी उसके लिए ना नहीं बोलते.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को मोदी सरकार 2.0 में गृह मंत्रालय जैसा अहम विभाग दिया गया हैं. भले ही शपथग्रहण समारोह में  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद दूसरे नंबर पर राजनाथ सिंह और तीसरे नंबर पर अमित शाह ने शपथ ली हो लेकिन आज जब मंत्रालयों का बंटवारा किया गया तो नंबर दो माने जाने वाले गृह मंत्रालय का जिम्मा अमित शाह को सौंपा गया. गुजरात में मोदी- शाह की ये जोड़ी एक बार फिर केन्द्र में भी नंबर- 1 और नंबर -2 के तौर पर नजर आएगी.
साल 1989 से अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जोड़ी के गुजरात में कई ऐसे कारनामे रहे हैं जिसकी वजह से एक-दूसरे पर उनका भरोसा बढ़ता गया. मोदी-शाह की जोड़ी को लेकर राज्यसभा सांसद परिमल नथवानी का कहना है, 'अमित शाह और नरेन्द्र मोदी की जोड़ी गुजरात में एक ही सिक्के के दो पहलू के तौर पर हमेशा रहे हैं. अगर अमित शाह किसी भी चीज में हां बोल देते हैं तो नरेन्द्र भाई कभी उसके लिए ना नहीं बोलते'.
                                      
यही नहीं गुजरात में अमित शाह ओर नरेन्द्र मोदी की पहली मुलाकात 1982 में उस वक्त हुई थी जब नरेन्द्र मोदी संघ के कार्यकर्ता के तौर पर एक कॉलेज कार्यक्रम में आए थे ओर अमित शाह यहां पर एबीवीपी के नेता के तौर पर आए थे. 1984 में नरेन्द्र मोदी संघ से बीजेपी में संघ के प्रतिनिधि ओर प्रचारक के तौर पर आये थे और अमित शाह छात्र संघ से बीजेपी के कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी में शामिल हुए थे. जिस जीत के बाद दोनों की दोस्ती का यह कारवां आगे बढ़ा वो है अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के चुनाव में बीजेपी की भारी जीत. उस एक जीत के बाद इसी जोड़ी ने बीजेपी को आज देश में 303 सीटों तक पहुंचा दिया.
साल 1995 में अमित शाह ओर नरेंद्र मोदी की इस जोड़ी ने पहली बार बीजेपी को गुजरात के विधानसभा में जीत दिलवाई थी और केशुभाई पटेल गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे. इससे पहले 1991 में अमित शाह पहली बार लालकृष्ण आडवाणी के लिये बूथ इंचार्ज बने थे. अमित शाह को 1997 में जब पहली बार चुनाव लड़ना था तो उस वक्त खुद नरेन्द्र मोदी ने शाह के लिये बीजेपी में लॉबिंग की थी. अमित शाह ने अपने पहले ही चुनाव में सरखेज इलाके से जीत हासिल की थी.
साल 2001 में भूकंप के बाद नरेन्द्र मोदी ने जब गुजरात की बागडोर संभाली तो 2002 के चुनाव के बाद अमित शाह पहली बार मोदी मंत्री मंडल में शामिल हुए ओर एक साथ 12 विभागों की जिम्मेदारी संभाली. अमित शाह को सब से बड़ी जिम्मेदारी गृह मंत्रालय के रूप में सौंपी गई थी.
हालांकि अमित शाह गुजरात के गृहमंत्री रहते हुए कई विवादों में भी आए जिसमें शोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर और जासूसी कांड प्रमुख थे. बतौर गृहमंत्री उन्होंने कई ऐसे काम भी किए जिसकी वजह से गुजरात में एक बार फिर 2007 में नरेन्द्र मोदी सरकार बनाने में कामयाबी मिली.
फर्जी एनकाउंटर केस में अमित शाह को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था और दो तीन महीने उन्हें अहमदाबाद की साबरमती सेंट्रल जेल में भी रहना पड़ा था. जमानत पर रिहा होने के बाद उन्हें कोर्ट ने गुजरात से बाहर रहने का आदेश दिया था जिसके बाद वो दिल्ली चले आए थे.
1997 से 2001 तक अमित शाह ने सब से पहले अहमदाबाद जिला कोओपरेटीव बैंक से कांग्रेस के वर्चस्व को खत्म कर दिया और बैंक को आर्थिक तौर पर सक्षम बनाया. एक के बाद एक राज्य के सहकारी बैंकों पर अपना कब्जा जमाया. इसी वजह से गुजरात में मंत्रीपद संभालने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं आई और बाद में वो गुजरात क्रिकेट एशोसिएसन के अध्यक्ष भी बन गए.
अमित शाह ने दिल्ली में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए लगातार लॉबिंग की और 2013 में बीजेपी ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया. उस वक्त से मोदी और अमित शाह की यह जोड़ी मीडिया की सुर्खिया बनती रही हैं.

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